F भ्रातस्तिष्ठ तले तले /bhratas tishtha tale tale - bhagwat kathanak
भ्रातस्तिष्ठ तले तले /bhratas tishtha tale tale

bhagwat katha sikhe

भ्रातस्तिष्ठ तले तले /bhratas tishtha tale tale

भ्रातस्तिष्ठ तले तले /bhratas tishtha tale tale

 भ्रातस्तिष्ठ तले तले /bhratas tishtha tale tale


भ्रातस्तिष्ठ तले तले विटपि नाम ग्रामेषु भिक्षामट्, स्वछन्दं पिब  यामुनां जल मलं चिराणि कन्थां कुरू। सम्मानं कलयाति घोर  गरलं नीचापमानं सुधा, श्री राधा मुरली धरौ भज सखे वृन्दावनं  मात्यजं

भैया किसी वृक्ष के नीचे बैठ जाना, गांव से भिक्षा मांग कर पेट भर लेना, पवित्र यमुना नदी के जल का पान कर लेना, जो कुछ भी  फटे पुराने वस्त्र मिल जाए उसे पहन  लेना, सम्मान को घोर विष के समान समझना और नीचे के द्वारा किए गए अपमान को अमृत समझते हुए निरंतर श्री राधा कृष्ण का भजन करना | परंतु वृंदावन का  त्याग कभी मत करना | 

 भ्रातस्तिष्ठ तले तले /bhratas tishtha tale tale


 भ्रातस्तिष्ठ तले तले /bhratas tishtha tale tale


    Ads Atas Artikel

    Ads Center 1

    Ads Center 2

    Ads Center 3