F बिभ्रद् वेणुं जठरपटयो: /Bibhrad vēṇuṁ jaṭhara - bhagwat kathanak
बिभ्रद् वेणुं जठरपटयो: /Bibhrad vēṇuṁ jaṭhara

bhagwat katha sikhe

बिभ्रद् वेणुं जठरपटयो: /Bibhrad vēṇuṁ jaṭhara

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बिभ्रद्  वेणुं जठरपटयो: श्रृंगवेत्रे च  कक्षे
वामे पाणौ  मसृणकवलं  तत्फलान्यड़्गुलीषु। 
तिष्ठन्  मध्ये स्वपरिसुहृदो  हासयन् नर्मभि:स्वै:
स्वर्ग लोके  मिषति  बुभुजे यज्ञभुग् बालकेलि: ।। 
१०/ १३/११

भगवान श्री कृष्ण ने अपनी मुरली को कमर के सेट मे खोस रखे हैं, कांख में श्रृग्ड़ी दबा रखी है बाएं हाथ में दधि मिश्रित भात का कौर था और दाहिने हाथ की अंगुलियों में अदरक नींबू और आंवला मिर्च आदि के अचार को दबा रखा है|ग्वाल वालों के साथ हंसी मजाक करते हुए भोजन करने लगे, सभी ग्वाल वाल अपने घर से लाया हुआ भोजन कन्हैया को खिलाने लगे|

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