F यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa - bhagwat kathanak
यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa

bhagwat katha sikhe

यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa

यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa

 यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa


यावद् वत्सपवत्सकाल्पकवपुर्यावत् कराड़्घ्र्यादिकं
यावद् यष्टिविषाणवेणुदलशिग् यावद्विभूषाम्बरम् |
यावच्छीगुणाभिधाकृतिवयो यावद्विहारादिकं
सर्वं विष्णुमयमगिरोङ्गवदजः सर्वस्वरूपो बभौ |

जितने भी ग्वाल बाल थे, उनकी जैसी आयु थी , छोटा बड़ा जैसा उनका शरीर था, उनके हाथ में जैसे छड़िया श्रृग्ड़ी थी, उन्होंने जैसे-जैसे वस्त्र पहने थे और आभूषण पहने तो भगवान श्रीकृष्ण ने सभी का रूप धारण कर लिया और सायं काल व्रज में प्रवेश किया |

 यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa


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