यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa
जितने भी ग्वाल बाल थे, उनकी जैसी आयु थी , छोटा बड़ा जैसा उनका शरीर था, उनके हाथ में जैसे छड़िया श्रृग्ड़ी थी, उन्होंने जैसे-जैसे वस्त्र पहने थे और आभूषण पहने तो भगवान श्रीकृष्ण ने सभी का रूप धारण कर लिया और सायं काल व्रज में प्रवेश किया |
यावद् वत्सपवत्स /yavad vatsa pavatsa
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