F गोपालाजिर कर्दमे /gopalajir kardame - bhagwat kathanak
गोपालाजिर कर्दमे /gopalajir kardame

bhagwat katha sikhe

गोपालाजिर कर्दमे /gopalajir kardame

गोपालाजिर कर्दमे /gopalajir kardame

 गोपालाजिर कर्दमे /gopalajir kardame


गोपालाजिर कर्दमे बिहरसे विप्राद्ध्वरे लज्जसे
ब्रूसे गोधन हुंकृते स्तुति सतै र्मौनंविधत्सेसतां |
दास्यं गोकुल पुंश्चलीसुपुरुषेस्वाम्यं नदान्तात्मसु
ज्ञातं क्रष्णतवार्घिं पकंज युगं प्रेमैकलभ्यं परमं |

प्रभु आप गोकुल के कीचड़ में लोटपोट करते हो, उसमें विहार करते हो परंतु ब्राह्मणों की पवित्र यज्ञशाला में आने से आपको लज्जा आती है ,गायों की हुंकार करने पर आप उनके आगे पीछे डोलते हो उनसे बातें करते हैं और विद्वानों के द्वारा अनेकों प्रकार से की हुई स्तुति के द्वारा आप मौन धारण कर लेते हो, गोपियों की दासता स्वीकार करते हो और जितेंद्रिय के  स्वामी बनने में संकोच करते हो ,प्रभु मैं समझ गया प्रेम ही आपकी प्राप्ति का एकमात्र साधन है |

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