न्याय्यो हि दण्डः /Nyāyō hi daṇḍaḥ
न्याय्यो हि दण्डः कृतकिल्बिषेस्मिं स्तवावतारः खलनिग्रहाय |
रिपोः सुतानामपि तुल्यदृष्टे र्धत्से दमं फलमेवानुशंसन् |
प्रभु आपका अवतार दुष्टों को दंड देने के लिए हुआ है, आपने जो इस अपराधी को दंड दिया है वह सर्वथा उचित है आपकी दृष्टि में शत्रु और मित्र दोनों बराबर हैं |न्याय्यो हि दण्डः /Nyāyō hi daṇḍaḥ
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