गोप्य: कामाद् /Gōpyah Kāmād
गोप्य: कामाद्भयात्कंसो द्वेषाच्चैद्यादयो नृपा: ।
सम्बन्धाद् बृष्णय: स्नेहाद्यूयं भक्त्या वयं विभो|
( 7,1,30, )
गोपियों ने प्रेम से ,कंस ने भय से, शिशुपाल दंत वक्र आदि राजाओं ने द्वेष से ,यदुवंशियों ने संबंध से ,आप लोगों ने स्नेह से हम लोगों ने भक्ति से अपना मन भगवान में लगा रखा है |
गोप्य: कामाद् /Gōpyah Kāmād
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