कर्मणा जीयते जन्तुः /karmna jayate jantuh
कर्मणा जीयते जन्तुः कर्मणैव विलीयते |
सुखं दःखं भयं क्षेमं कर्मणैवाभिपद्यते ||
10,24,23
पिता जी कर्म के अनुसार जीव उत्पन्न होता है , कर्म से वह मृत्यु को प्राप्त करता है | और कर्मों के द्वारा ही सुख-दुख भय और कल्याण की प्राप्ति होती है |
कर्मणा जीयते जन्तुः /karmna jayate jantuh
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