F कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo - bhagwat kathanak
कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo

bhagwat katha sikhe

कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo

कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo

 कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo


कौमार आचरेत्प्राज्ञो धर्मान् भागवतानिह |
दुर्लभं मानुषं जन्म तदण्य ध्रुव मर्धदम् ||

मित्रों यह मनुष्य शरीर अत्यंत दुर्लभ है और सदा रहने वाला भी नहीं है इसलिए कुमार अवस्था से ही भगवान का भजन करना चाहिए ,इन्द्रियों से प्राप्त होने वाले सुख तो किसी भी योनि में प्राप्त हो सकता है इसलिए सुख देने वाले उन भोगों की प्राप्ति के लिए प्रयास करने की जरूरत नहीं है |

 कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo


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