कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo
मित्रों यह मनुष्य शरीर अत्यंत दुर्लभ है और सदा रहने वाला भी नहीं है इसलिए कुमार अवस्था से ही भगवान का भजन करना चाहिए ,इन्द्रियों से प्राप्त होने वाले सुख तो किसी भी योनि में प्राप्त हो सकता है इसलिए सुख देने वाले उन भोगों की प्राप्ति के लिए प्रयास करने की जरूरत नहीं है |
कौमार आचरेत्प्राज्ञो /kaumar acharet pragyo
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