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kavita in hindi /संत-वाणी

bhagwat katha sikhe

kavita in hindi /संत-वाणी

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kavita in hindi
संत-सूक्ति-सुधा-संत-वाणी 
संत-सूक्ति-सुधा-संत-वाणी santo ki mahima geet in hindi
santo ki mahima geet in hindi
( रचयिता-पाण्डेय पं० श्रीरामनारायणदत्तजी शास्त्री 'राम' ) 
kavita in hindi

वन्दे संत उदार दयानिधि जिसकी मंजुल वाणी,
भवसागर-संतरण तरणि-सी परहित-रत कल्याणी।
मृदु, कोमल, सुस्निग्ध, मधुरतम, निर्मल, नवल, निराली,
काम-क्रोध-मद्-लोभ-मोह सब दूर भगानेवाली ॥१॥

जहाँ कर्मकी कालिन्दीमें मिलित भक्तिकी गङ्गा,
सरखती है जहाँ शानकी गूढ अगम्य अभङ्गा ।
त्रिविध साधनोंकी बहती है सुन्दर जहाँ त्रिवेणी,
धन्य संत-वाणी प्रयाग-सी निःश्रेयस निःश्रेणी ॥ २॥

बुझती जहाँ स्वयं जाते ही त्रिविध तापकी ज्वाला,
भरती पुलक मोद तन मनमें भाव-ऊर्मिकी माला ।
जहाँ न जाकर प्यासा लौटा है कोई भी प्राणी,
सुरधुनि-सी सबको सुख देती वह संतोंकी वाणी ॥३॥

सद्भावोंके पोषणहित जो मधुर दुग्ध गौका है,
देती सदा मुक्तिके पथपर बढ़नेको मौका है।
भीषणतम भवकी जलनिधिमें अरे इवनेवालो,
दौड़ो चढो संतवाणी नौकापर होश सँभालो ॥ ४॥

संत-वचन वह सुधा देव भी जिसके सदा भिखारी,
संत-वचन वह धन जिसका है नर प्रधान अधिकारी।
मर्त्य अमर बन जाता जिससे वह संजीवन रज है,
संत-वचन सब भवरोगोंका रामबाण भेषज है ॥ ५॥

वेद, शास्त्र, अनुभूति, तपस्याका जिसमें संचय है,
संतोका वर वरद वचन वह मङ्गलमय निर्भय है।
क्यों बैठा कर्तव्यमूढ़ नर बन चिन्ताका वाहन,
संत-वचनके सुधा-सिन्धुमें कर संतत अवगाहन ॥६॥

दूर असत्से कर सत्पथकी ओर लगानेवाला,
और मृत्युसे हटा अमरता तक पहुँचानेवाला।
तमसे परे ज्योतिके जगमें होता जो जगमग है,
सच्चिन्मय उस परमधामका संत-वचन शुचि मग है ॥७॥

कौन बताये संतोंकी वाणीमें कितना बल है?
दासी-सुत देवर्षि बन गया जीवन हुआ सफल है।

उसी संतके प्रवचनने वह चमत्कार दिखलाया,
दैत्यवंशमें देवोपम प्रह्लाद प्रकट हो आया ॥८॥ 

अगणित बार संत-वाणीने निज प्रभाव प्रकटाया,
मान उसे ही बालक ध्रुवने हरिका ध्रुवपद पाया। 
एक लुटेरा था जो मनसे मान संतकी वाणी,
वाल्मीकि बन गया आदिकवि भुवनविदित विज्ञानी ॥९॥ 

संत-वचनके अनुशीलनसे होती निर्मल मति है,
श्रीहरिके चरणोंमें जिससे बढ़ती अविचल रति है। 
रीझ उसीसे भक्तजनोंके वश होते बनवारी,
दर्शन दे राधा-प्यारी-सँग हरते बाधा सारी ॥१०॥
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संत-सूक्ति-सुधा-संत-वाणी 
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