सा मुञ्च मुञ्चालमिति /sa munch munchalamiti
सा मुञ्च मुञ्चालमिति प्रभाषिणी निष्पीडयमानाखिल जीवमर्मणि।
विवृत्य नेत्रे चरणौ भुजौ मुहु: प्रस्विन्नगात्रा क्षिपती रूरोद ह|१०/६/११
बाल संहिता में ऐसा उपाख्यान आता है ,जब बालकों को पूतना नाम का ग्रह लग जाता है तो, बालकम् मुन्च मुन्च पूतने |इस मंत्र से झाडा लगाया जाता है , परंतु आज पूतना को हि एक बालक लग गया इसलिए वह कहती है कि मुन्च-मुन्च, कन्हैया छोड़ दो - छोड़ दो |
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