कंसेन प्रहिता घोरा /kansen prahita ghora
शिशूंश्चचार निघ्नन्ती पुरग्राम व्रजादिषु।। १०/६/२
यहां कंस की भेजी हुई पूतना नाम की राक्षसी जो छोटे छोटे बालकों को मारती हुई नगर, गांव मे घूम रही थी | आकाश मार्ग से गोकुल मे उसने उत्सव होते हुए देखा तो | माया से सुंदर स्त्री का रूप धारण कर वहां पहुंच गई | वह इतनी सुंदर थी कि ब्रज वासियों ने उसे देखा तो समझा साक्षात लक्ष्मी कन्हैया का दर्शन करने आई हैं |
कंसेन प्रहिता घोरा /kansen prahita ghora
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