मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho
हे मधुप तू कपटी का सखा है, जैसा तेरा स्वामी वैसे तू भी कपटी है इसलिए मेरे पैरों को मत छू क्योंकि तेरी मूंछों में मथुरा की मनिनी स्त्रियों के वक्षस्थल का केसर लगा है | जैसे तेरे स्वामी का मन एक जगह नहीं लगता उसी प्रकार तू भी एक फूल से दूसरे फूल मे मंडराता रहता है |
मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here
हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear