F मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho - bhagwat kathanak
मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho

bhagwat katha sikhe

मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho

मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho

 मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho


मधुप कितवबन्धो मा स्पृशाङ्घ्रिं सपत्न्याः 
कुचविलुलितमालाकुङ्कुमश्मश्रुभिर्नः |
वहतु मधुपतिस्तन्मानिनीनां प्रसादं
यदुसदसि विडम्ब्यं यस्य दूतस्त्वमीदृक् |

हे मधुप तू कपटी का सखा है, जैसा तेरा स्वामी वैसे तू भी कपटी है इसलिए मेरे पैरों को मत छू क्योंकि तेरी  मूंछों में मथुरा की मनिनी स्त्रियों के वक्षस्थल का केसर लगा है | जैसे तेरे स्वामी का मन एक जगह नहीं लगता उसी प्रकार तू भी एक फूल से दूसरे फूल मे मंडराता रहता है |

 मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho


 मधुप कितवबन्धो /madhup kitava bandho


Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3