मतिर्न कृष्णे परतः /Matirna kr̥ṣhṇē parataḥ
मतिर्न कृष्णे परतः स्वतो वा
मिभोभिपद्येत गृहव्रतानाम् |
महीयसां पादरजोभिषेकं
निष्किञ्चनानां न वृतीत यावत् ||
पिता जी जब तक प्राणी महापुरुष की चरण धूलि से स्नान नहीं कर लेता तब तक उसकी बुद्धि अपने या किसी के समझाने पर भी भगवान के चरणों में नहीं लगती ,,,
मतिर्न कृष्णे परतः /Matirna kr̥ṣhṇē parataḥ
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