न मत्प्रणीतं /na matpranitam
न मत्प्रणीतं न पपप्रणीतं
सुतो वदत्येष तवेन्द्रशत्रो |
नैसर्गिकीयं मतिरस्य राजन्
नियच्छ मन्युं कददाः स्म मा नः ||
( 7.5.28 )
महाराज इसे यह शिक्षा हमने नहीं दी है यह इसकी जन्मजात बुद्धि है, इसलिए हमे क्षमा कीजिए हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद से कहा जब तुझे यह शिक्षा गुरु पुत्रों से प्राप्त नहीं हुई तो कहां से हुई है ,,
न मत्प्रणीतं /na matpranitam
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