मृत्युर्जन्मवतां वीर /mratyur janma vatan veer
मृत्युर्जन्मवतां वीर देहेन सह जायते।
अद्य वाब्दशतान्ते वा मृत्युर्वै प्राणिनां ध्रुव:।। १०/१/३८
और कंस प्राणी के उत्पन्न होते ही उसके साथ हि उसकी मृत्यु भी उत्पन्न हो जाती है, वह आज हो अथवा सौ वर्ष बाद हो , मरना सबको है |
मृत्युर्जन्मवतां वीर /mratyur janma vatan veer
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here
हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear