न मय्या वेशितधियां /na mayya veshita dhiyam
न मय्या वेशितधियां कामः कामाय कल्पते |
भर्जिता क्वथिना धाना प्रायो बीजाय नेष्यते |
जैसे भुना हुआ अथवा उबले हुए बीज में पुनः अंकुर उत्पन्न नहीं होता, इसी प्रकार जिसका मन मुझ में लग जाता है, उसकी कामनाएं सांसारिक भोगों की ओर ले जाने में समर्थ नहीं होती |
न मय्या वेशितधियां /na mayya veshita dhiyam
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