F ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां /'Om harir vidadhyān - bhagwat kathanak
ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां /'Om harir vidadhyān

bhagwat katha sikhe

ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां /'Om harir vidadhyān

ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां /'Om harir vidadhyān

 ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां /'Om harir vidadhyān


ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां
           न्यस्ताङ्घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपपृष्ठे |
दरारिचर्मा सिगदेषुचाप-
            पाशान् दधानोष्ट गुणोष्टबाहुः ||           
भगवान श्रीहरि जिनका चरण कमल गरुण की पीठ पर स्थित है,अणिमादि आठो सिद्धियां जिनकी सेवा कर रही है उन्होंने अपने हाथों हाथों में शंख चक्र गदा ढाल तलवार धनुष बाण और पाश धारण कर रखा है ,ऐसे ओंकार स्वरूप वाले भगवान श्री हरि मेरी सब ओर से रक्षा करें ,जल में जलचर जीवों से मत्स्य भगवान, स्थल में वामन भगवान और आकाश मे त्रिविक्रम भगवान मेरी रक्षा करें ,प्रातः काल हाथ में गदा लिए भगवान केशव ,मध्यान में सुदर्शन चक्र धारी भगवान विष्णु ,सायं कालीन भगवान माधव और रात में भगवान पद्मनाभ मेरी रक्षा करें |

 ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां /'Om harir vidadhyān


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