F पंकाभिषिक्त सकला /panka bhishikt sakala - bhagwat kathanak
पंकाभिषिक्त सकला /panka bhishikt sakala

bhagwat katha sikhe

पंकाभिषिक्त सकला /panka bhishikt sakala

पंकाभिषिक्त सकला /panka bhishikt sakala

 पंकाभिषिक्त सकला /panka bhishikt sakala


पंकाभिषिक्त सकलावयवं विलोक्यं दामोदरं वदति कोपवशात्य शोदा ।
त्वं सूकरोऽसि गतजन्मनि पूतनारे इत्यक्तिसंस्मित मुखोऽवतु नो मुरारे।। 

मैया यशोदा ने कन्हैया को इस हाल में देखा तो क्रोधित हो कहा क्यों रे पूतना के शत्रु क्यों रे पूतना को मारने वाला तू पूर्व जन्म में शूकर था क्या , कन्हैया ने सोचा मैया को कैसे मालूम कि मैं पूर्व जन्म में शूकर था, कन्हैया ने  सिर हिलाते हुए कहा हां मैया मैं शूकर था |

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