सैय्यावस्त्रं चन्दनं चारुहास्यं /Saiyyā vastraṁ chandanaṁ
सैय्यावस्त्रं चन्दनं चारुहास्यं वीणा वाणी शोभमाना च नारी |
न भ्राजन्ते छुत्पिपाशा तुराणां सर्वारम्भातण्डुलः प्रस्तमूलाः ||
परंतु जैसे उत्तम बिस्तर ,वस्त्र, चंदन, मधुर मुस्कान, वाणी से युक्त शोभित नारी भी जैसे भूखे व्यक्ति की भूख नहीं मिटा सकती ऐसे ही समस्त ऐश्वर्य होने पर भी संतान के ना होने से यह धन ऐश्वर्य मुझे सुख नहीं पहुंचा रहे इसलिए कृपा करके आप मुझे संतान प्रदान कीजिए |सैय्यावस्त्रं चन्दनं चारुहास्यं /Saiyyā vastraṁ chandanaṁ
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