यथा प्रयान्ति संयान्ति /yatha prayanti sayanti
यथा प्रयान्ति संयान्ति स्त्रोतो वेगेन वालुकाः |
संयुज्यन्ते वियुज्यन्ते तथा कालेन देहिनः ||
जैसे जल के बेग से बालू के कड़ आपस में एक दूसरे से मिलते और बिछड़ते रहते हैं इसी प्रकार समय के प्रवाह से प्राणियों का भी मिलना और बिछड़ना होता रहता है |
यथा प्रयान्ति संयान्ति /yatha prayanti sayanti
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