F stri dharma hindi - bhagwat kathanak
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भर्तुः शुश्रूषणं स्त्रीणां परो धर्मो ह्यमायया |
तद्वन्धूनां च कल्याणः प्रजानांचानुपोषणम् |
भा• 10.29.24
दुःशीलो दुर्भगो वृद्धो जडोरोग्यधनोपि वा |
पतिःस्त्रीभिर्नहातव्योलोकेप्यसुभिरपातकी |
भा• 10.29.25

अपने पति की निष्कपट भाव से सेवा करना उनके बंधु बान्धवो को प्रसन्न रखना और संतान का पालन पोषण करना स्त्रियों का परम धर्म है , अपना पति बुरे स्वभाव का हो , या भाग्यहीन हो वृद्ध हो , मूर्ख हो, रोगी हो अथवा निर्धन ही क्यों ना हो फिर भी उसका त्याग नहीं करना चाहिए|

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