स्वदत्तां परदत्तां वा /svadattam par dattaam va
स्वदत्तां परदत्तां वा ब्रम्हवृत्तिं हरेच्च यः|
षष्टिवर्षसहस्त्राणि विष्ठायां जायते कृमिः
क्योंकि कहा गया है जो मनुष्य अपने द्वारा दी हुई अथवा दूसरों के द्वारा दी हुई ब्राम्हणों की वृत्ति का हरण करता है वह साठ हजार वर्षों तक विष्ठा का कीडा बनता है और उसके बाद भयंकर नर्क को भोगता है |
स्वदत्तां परदत्तां वा /svadattam par dattaam va
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