F स्वायम्भुवस्येह गिरो /svayambhu vasyeh giro - bhagwat kathanak
स्वायम्भुवस्येह गिरो /svayambhu vasyeh giro

bhagwat katha sikhe

स्वायम्भुवस्येह गिरो /svayambhu vasyeh giro

स्वायम्भुवस्येह गिरो /svayambhu vasyeh giro

 स्वायम्भुवस्येह गिरो /svayambhu vasyeh giro


स्वायम्भुवस्येह गिरो वंशोयं विस्ताराच्छ्रतः |
यत्र विश्वसृजां सर्गो मनूनन्यान्वदस्व नः ||

राजा परीक्षित सुखदेव जी से पूछते हैं- गुरुदेव मैंने स्वयंभू मनु के वंश का विस्तारपूर्वक वर्णन सुना है अब आप अन्य मनुओं का वर्णन सुनाइए ,,

 स्वायम्भुवस्येह गिरो /svayambhu vasyeh giro


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