F तत्तेनुकम्पां सुसमीक्षमाणो /Tattē nukampām sus mīkṣhamānō - bhagwat kathanak
तत्तेनुकम्पां सुसमीक्षमाणो /Tattē nukampām sus mīkṣhamānō

bhagwat katha sikhe

तत्तेनुकम्पां सुसमीक्षमाणो /Tattē nukampām sus mīkṣhamānō

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तत्तेनुकम्पां सुसमीक्षमाणो भुञ्जान एवात्मकृतं विपाकम् |
हद्वाग्वपुर्भिर्विदधन्नमस्ते जीवेत यो मुक्तिपदे स दायभाक् |

प्रभो जो आपकी कृपा का अनुभव करता है प्रारब्ध से जो कुछ भी प्राप्त होता है उसमें ही संतुष्ट रहता है और ह्रदय वाणी से अपने आपको आपके चरणों में समर्पित कर देता है, वह जैसे पिता की संपत्ति पर पुत्र का अधिकार होता है वैसे ही वह मुक्ति का अधिकारी हो जाता है |

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