गुञ्जावतंस परिपिच्छ /Guñjā vatansa pari pichha
गुञ्जावतंसपरिपिच्छलसन्मुखाय |
वनियस्रजे कवलवेत्रविषाण वेणु
लक्ष्मश्रिये मृदुपदे पशुपाङ्गजाय |
हे स्तुत्वपुरुष आपको मेरा नमस्कार है , प्रभो आपने मेंघ के समान श्यामल वर्ण में ( श्यामल शरीर में ) पीतांबर धारण कर रखा है, गले में गुंजा की माला , मस्तक में मयूर प्रच्छ, कंठ में वनमाला धारण कर रखी है, आपके बाएं हाथ में दही भात का कौर है, बगल में वेंट और श्रृग्ड़ी को आपने दबा रखा है, सेंट में बांसुरी को खोस के रखा है आपके चरण अत्यंत सुकोमल हैं | प्रभु आपका जो यह गोपाल का वेश है यह आपने मुझ पर कृपा करने के लिए धारण किया है |
गुञ्जावतंस परिपिच्छ /Guñjā vatansa pari pichha
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