प्रणम्य नीतिशास्त्र / pranamya niti shloka

 प्रणम्य नीतिशास्त्र / pranamya niti shloka

प्रणम्य नीतिशास्त्र / pranamya niti shloka

प्रणम्य नीतिशास्त्रज्ञान्नूतनोऽयं विरच्यते।

हितोपदेशः संक्षिप्तो नीतिसंग्रहनामतः ।।


अन्वयः- नीतिशास्त्रज्ञान प्रणम्य अयं नूतनः, नीतिसंग्रहनामतः संक्षिप्तः हितोपदेश: विरच्यते।


व्याख्या:- नीते: नीतिशास्त्रस्य ज्ञाः= पण्डिताः तान् नीतिशास्त्रज्ञान् =नीतिको विदान, प्रणम्य नमस्कृत्य, अयं नूतनः नवीनः , नीतिसंग्रहनामतः= नीतिसंग्रहनाम्ना प्रसिद्धः, संक्षिप्तः ग्रन्थान्तरेभ्योऽप्युपयुक्तस्य स्वल्पायसो गद्यपद्यांशस्य यत्र कत्रचन सम्मिश्रणेन अनपयक्तस्य च अश्लीलांशस्य परित्यागेन लघूकृतः हितोपदेशः हितोपदेशानामा ग्रन्थः विरच्यते।


भाषा- नीतिशास्त्र के विद्वान महापण्डित मनु प्रभृति को प्रणाम कर, यह नवीन नीति संग्रह नाम से संक्षिप्त हितोपदेश प्रकाशित किया जा रहा है। जिसमें विशेषकर बालक बालिकाओं के उपुयक्त तथा अश्लील गद्य एवं पद्यांशो को निकालकर कहीं-कहीं परमोपयोगी अन्य ग्रन्थों के कथाभाग का दिग्दर्शन कराते हुये उसे छोटा किया गया है।

 नीति संग्रह- मित्रलाभ: के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके। -clickNiti Sangrah all Shloka List

 प्रणम्य नीतिशास्त्र / pranamya niti shloka


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