अकिञ्चनस्य दान्तस्य /akinchanasya dantasya shloka vairagya

 अकिञ्चनस्य दान्तस्य /akinchanasya dantasya shloka vairagya

अकिञ्चनस्य दान्तस्य /akinchanasya dantasya shloka vairagya

अकिञ्चनस्य दान्तस्य शान्तस्य समचेतसः।

सदा सन्तुष्टमनसः सर्वाः सुखमया दिशः॥९५॥

दरिद्र, संयमी, शान्त और शत्रु-मित्र में एक समान विचार रखने वाले, सदा सन्तोषी पुरुष के लिए सारी दिशायें आनन्द देने वाली हैं।

वैराग्य शतक के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
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 अकिञ्चनस्य दान्तस्य /akinchanasya dantasya shloka vairagya


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