चला लक्ष्मीश्चलाः /chala lakshmi chalah shloka vairagya
चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणाश्चलं जीवितयौवनम्।
चलाचले च संसारे धर्म एकोहि निश्चलः॥९६॥
लक्ष्मी चंचल है, प्राण चंचल है, जीवन और यौवन दोनों ही चंचल हैं, इस तरह चल और अचल संसार में एकमात्र धर्म ही निश्चल है।