F आशानाम नदी /ashanam nadi shloka vairagya - bhagwat kathanak
आशानाम नदी /ashanam nadi shloka vairagya

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आशानाम नदी /ashanam nadi shloka vairagya

आशानाम नदी /ashanam nadi shloka vairagya

 आशानाम नदी /ashanam nadi shloka vairagya

आशानाम नदी /ashanam nadi shloka vairagya


आशानाम नदी मनोरथ जला तृष्णातरङ्गाकुला

रागग्राहवती वितर्कविहगा धैर्यद्रुमध्वंसिनी।

मोहावर्तसुदुस्तराऽतिगहना प्रोत्तुङ्गचिन्तातटी

तस्या पारगता विशुद्धमनसो नन्दन्तियोगीश्वराः॥४१॥

आशा नाम की नदी है, मनोरथरूपी जल जिसमें भरा हैं, तृष्णा जिसकी लहरें हैं, राग-द्वेष जिसके मगर और घड़ियाल हैं, अपने अनुकूल और प्रतिकूल होने वाले पदार्थों के निर्णय करने के विचारधारा रूपी वितर्क ही जिस पर पक्षी के रूप में विचर रहे हैं, जिसका प्रवाह धैर्यरूपी वृक्ष को गिरा रहा है, मोहरूप भँवर से जो अत्यन्त खतरनाक और अति कठिन है और बड़ी-बड़ी चिन्ताएँ जिसके तट हैं, ऐसी नदी के पार गये हुए शुद्धान्त:करण वाले बड़े-बड़े योगिराज ही आनन्द को प्राप्त होते हैं।

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 आशानाम नदी /ashanam nadi shloka vairagya

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