भोगा मेघवितान /bhoga megha vitan shloka vairagya
भोगा मेघवितानमध्यविलसत्सौदामिनीचञ्चला
आयुर्वायुविघट्टिताब्जपटलीलानाम्बुवद्भगुरम्।
लीला यौवनलालसास्तनुभृतामित्याकलय्य द्रुतं
योगे धैर्यसमाधिसिद्धिसुलभे बुद्धिविदध्वं बुधाः॥४९॥
सांसारिक भोग मेघों में चमकती बिजली के समान अस्थिर हैं, आयुष्य वायु द्वारा तितर-बितर किये गये पानी बरसाने वाले मेघों की तरह क्षणभंगुर है, जवानी के उमंग की तरंगें भी अस्थायी हैं। इसलिए हे विद्वानों! धैर्यपूर्वक की गई समाधि द्वारा सुलभयोग में मन को लगाइये।