भोगा न भुक्ता /bhoga na bhukta shloka vairagya
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता स्तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः ।
कालो न यातो वयमेव यातासतृष्णा न जीर्णावयमेव जीर्णाः॥१२॥
हम विषयों को न भोग सके, विषयों ने ही हमें भोग लिया। हम तप नहीं कर सके, पर तप ने ही हमें तपा लिया, काल व्यतीत न हुआ, किन्तु हम ही व्यतीत हो गये, तृष्णा समाप्त न हुई, किन्तु हम ही समाप्त हो गये।