प्रेरणादायक हिंदी कहानियां -दीये पुराने और नये
एक बार की बात है। राष्ट्रपिता बापू (गांधीजी) सेवाश्रम में थे। दीपावली का त्यौहार था। आश्रम में रहने वाले सभी लोग आश्रम को सादगी के साथ सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाने में लगे थे।
इस प्रक्रिया में पुराने दीयों की टोकरी गिर गई और सारे दीये टूट गये। सभी घबरा गये। क्योंकि वे सब जानते थे कि बापू नियम के पक्के हैं, समय के पाबंद हैं और कम से कम व्यय करने का उनका स्वभाव है। वे डर रहे थे कि न मालूम अब बापू क्या कहेंगे।
बात जब बापू के पास पहुँची तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। केवल नये दीये लाने के लिए कहा। संयोग की बात, जिस व्यक्ति से नये दीये लाने को कहा गया था वह भी रास्ते में एक गाय से टकरा गया और गिर पड़ा।
प्रेरणादायक हिंदी कहानियां -ये पुराने और नये
सारे दीये गिरकर टूट गये। - बापू ने जब यह सुना तो वे बहुत दुखी हुए। उन्होंने प्रातःकाल की प्रार्थना में उस व्यक्ति से प्रायश्चित कराया और स्वयं भी दो दिन का उपवास किया।
मिट्टी के दीयों के लिए दो दिनों का उपवास! आश्रम निवासी कुछ समझ नहीं पा रहे थे। वे यह भी नहीं समझ पा रहे थे कि बापू ने पुराने दीयों के टूट जाने पर तो कुछ नहीं कहा, पर नये दीयों के टूट जाने पर उपवास क्यों रखा?
थोड़े दिन बीते तो एक दिन किसी ने बापू जी से पूछ ही लिया-“बापू! पुराने दीये टूट जाने पर तो आपने कुछ नहीं कहा, लेकिन नये दीये टूटे तो आपने दो दिनों का उपवास रखा। बात कुछ समझ में नहीं आई।"
dharmik drishtant / दृष्टान्त महासागर
बापू ने सुना तो मुस्करा दिये। फिर बोले-“प्रश्न नये या पुराने का नहीं है। महत्व है उनके द्वारा निभाये जाने वाली भूमिका का। पुराने दीये अपनी भूमिका निभा चुके थे पर नये दीयों को अभी जलना था।
अपने अन्दर तेल-बाती का संग निभाकर अंधकार दूर करना था। पर उन्हें वह अवसर नहीं मिल सका।
यदि व्यक्ति अपनी भूमिका को पूरी तरह निभाकर जाता है तो ठीक, नहीं तो, अपनी भूमिका निभाये बिना कार्य के झमेलों में अपना जीवन व्यर्थ करते हैं तो आपका जन्म और मृत्यु दोनों ही व्यर्थ हैं।
इसलिए मुझे पुराने दीये टूट जाने का उतना अफसोस नहीं हुआ, पर नये दीयों के टूट जाने पर भारी दुख हुआ।"
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