चूड़ोत्तंसितचारुचन्द्र chudotansit charuchandra shloka niti
चूड़ोत्तंसितचारुचन्द्रकलिकाचञ्चच्छिखाभास्वरो
लीलादग्धविलोलकामशलभ: श्रेयोदशाग्रेस्फुरन्।
अन्तः स्फूर्जदपारमोहतिमिरप्राग्भार मुच्चाटयंश्चेतः
सद्मनि योगिनां विजयते ज्ञानप्रदीपो हरः॥१॥
शिरोभूषणीभूत चन्द्रमा की किरणों से प्रकाशमान, कामदेवरूपी पतिंगों को लीला से ही जलाने वाले, कल्याण करने वालों में अग्रगण्य, भक्तों के अन्त:करण में स्थित मोहरूपी अँधेरे का नाश करने वाले, ज्ञान के प्रकाशक भगवान् शंकर योगियों के हृदय में रहा करते हैं।