dharmik kahaniya hindi -दान की सफलता

 dharmik kahaniya hindi -दान की सफलता

dharmik kahaniya hindi -दान की सफलता


पुराने जमाने की एक बात है। पर है बहुत सुन्दर। एक राजा थे सुन्दरसिंह। उनके नगर से थोड़ी दूर पर एक गाँव था। गाँव में था एक मन्दिर। इस मन्दिर में संत मीराबाई रहती थीं।


मीराबाई सदा ईश्वर के आराधन में व्यस्त रहती थीं। फिर भी वे कुछ समय निकालकर गाँव के विवश लोगों की मदद करती रहती थीं।


दूसरों के दु:ख-दर्द को अपना ही दुःख-दर्द समझती थीं। गाँव वालों को भी उन पर अपार श्रद्धा थी। वे उन्हें गौरीबाई कहकर पुकारते थे। वे चारों ओर दूर-दूर तक प्रसिद्ध थीं।

 dharmik kahaniya hindi -दान की सफलता


राजा सुन्दरसिंह ने जब बात सुनी तो वह गौरीबाई से मिलने के लिए उनके पास गये। गौरीबाई के दर्शन और उनकी बातों का राजा पर बड़ा प्रभाव हुआ।


उन्होंने सोचा-इस संत महिला को कुछ भेंट करना चाहिए। ऐसा सोचकर उन्होंने पचास हजार स्वर्ण-मद्राएँ उन्हें देते हए स्वीकार करने का अनुरोध किया। -


गौरीबाई ने पहले तो स्वर्ण-मुद्राओं को स्वीकार करने से इनकार कर दिया पर राजा के बार-बार अनुरोध करने पर स्वीकार तो कर लिया पर उस धन को गरीबों में बाँट देने का निर्देश दे दिया।


यह देख राजा साहब के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा-“महाभागे! ये मुद्रायें आपके लिए हैं, इन पर तो आपका अधिकार है।"


संत महिला ने उत्तर दिया बड़े विनम्र शब्दों में और मुस्कराहट के साथ-“राजन्! आप ठीक कह रहे हैं, इन मुद्राओं पर मेरा अधिकार है।

 dharmik drishtant / दृष्टान्त महासागर


पर मुझ पर तो इन गरीब गाँव वालों का अधिकार है। मैं तो इनकी सेविका हूँ। इसलिए मुझसे पहले मुद्राओं पर इन लोगों का अधिकार बनता है।"


यह सुनकर राजा सुन्दरसिंह अवाक् और हैरान हो गये। कहने लगे-“आप धन्य हैं। पर आपकी भी तो कुछ आवश्यकतायें हैं।"


गौरीबाई बोलीं-“राजन्! आप मेरी ओर से निश्चिंत रहें। देखिए, मैं तो अकेली इन हजारों गाँव वालों का ध्यान रखती हूँ और ये हजारों मुझ अकिंचन का ध्यान रखते हैं। इनके प्रेम और श्रद्धा का वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।


फिर मेरी कौन-सी ऐसी आवश्यकता होगी जिसकी पूर्ति ये गाँव वाले न कर सकें। मैं तो केवल इन्हें सुखी देखना चाहती हूँ। इनके सख में ही मेरा सख है। अतः आपकी ये स्वर्ण-मुद्रायें सही जगह पर जा रही हैं। इसमें आपके दान की सफलता भी निहित है।"


गौरीबाई की बात से राजा इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने भी दीन-सेवा अपना ली।

 दृष्टान्त महासागर के सभी दृष्टांतो की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके। -clickdrishtant mahasagar list

 dharmik kahaniya hindi -दान की सफलता


0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close