ज्ञानं सतां मान /gyanam satam man shloka vairagya
ज्ञानं सतां मानमदादिनाशन
केषाञ्चिदेतन्मदमानकारणम्
स्थानं विविक्तं योगिनां विमुक्तये ।
कामातुराणामपि कामकारणम्॥७७॥
ज्ञान एक ऐसी चीज है, जो सज्जनों के मान मद आदि को नाश करती है और वही दुर्जन के मद और मान को बढ़ाती है। जैसे एकान्त स्थान योगी पुरुषों के मुक्ति का साधन है उसी तरह वही स्थान कामी पुरुषों के काम को बढ़ाने वाला है।