कदा संसार जालान्त /kada sansar jalant shloka vairagya
कदा संसार जालान्तर्बद्ध त्रिगुणारज्जुभिः।
आत्मानं मोचयिष्यामि शिवभक्तिशलाक्या॥९८॥
भवजाल के भीतर त्रिगुणमयी रज्जु से बँधी आत्मा को शिव भक्तिरूप शलाका से मैं कब छुड़ा सकूँगा।
कदा संसार जालान्तर्बद्ध त्रिगुणारज्जुभिः।
आत्मानं मोचयिष्यामि शिवभक्तिशलाक्या॥९८॥
भवजाल के भीतर त्रिगुणमयी रज्जु से बँधी आत्मा को शिव भक्तिरूप शलाका से मैं कब छुड़ा सकूँगा।
एक टिप्पणी भेजें
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |