काव्यशास्त्राविनोदेन /kavya shashtra vinodena shloka niti
काव्यशास्त्राविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।१।।
प्रसंग:- धीमतां मूर्खाणाञ्च कालयापनप्रकारं निर्दिशति-
अन्वयः-धीमतां कालः काव्यशास्त्रविनोदेन गच्छति, मूर्खाणां (तु कालः) व्यसनेन, निद्रया कलहेन वा (गच्छति)।।१।।
व्याख्या- धीमताम् = बुद्धिमतां, कालः = समयः, कवेः, कर्म काव्यं तदेव शास्त्रम् तेन यो विनोदः तेन सरसकाव्याध्ययनजन्यानन्देन गच्छति, मूर्खाणां तु कालः, व्यसनेन द्यूतकीडा सुरापानादि दुष्टोद्योगेन, निद्रया कहलेन वा गच्छति।
भाषा- बुद्धिमान मनुष्यों का समय काव्यों और शास्त्रों के अध्ययन अ यापन द्वारा आनन्दपूर्वक व्यतीत होता है किन्तु मूरों का समय नाना प्रकार के दुर्व्यसानों में, निद्रा में या लड़ाई में व्यतीत होता है।।१।।