न विटा न नटा /na vita na nata shloka vairagya
न विटा न नटा न गायका न परद्रोहनिबद्धबुद्धयः।
नृपसद्मनि नामके वयं कुचभारोन्नमिता न योषितः॥२६॥
न हम विट (परस्त्री से प्रेम करने वाले लम्पटी) हैं, न नट हैं, न गवैया हैं, न दूसरों से द्वेष रखने वाले हैं, न तो कुचों के भार से झुकी हुई स्त्रियाँ ही हैं, फिर हमको राजसभा से क्या सम्बन्ध, राजसभा में तो वे लोग जाया करते हैं जो विट, नट और गायक हुआ करते हैं, निःस्पृह विद्वान नहीं जाते।