F पुरा विद्वत्ता /pura vidvatta shloka vairagya - bhagwat kathanak
पुरा विद्वत्ता /pura vidvatta shloka vairagya

bhagwat katha sikhe

पुरा विद्वत्ता /pura vidvatta shloka vairagya

पुरा विद्वत्ता /pura vidvatta shloka vairagya

 पुरा विद्वत्ता /pura vidvatta shloka vairagya

पुरा विद्वत्ता /pura vidvatta shloka vairagya

पुरा विद्वत्तासीदुपशमवतां क्लेशहेतये

गता कालेनासौ विषयसुखसिद्धयै विषयिणाम्।

इदानीं सम्प्रेक्ष्य क्षितितलभुजः शास्त्रविमुखा

नहो कष्टं साऽपि प्रतिदिनमधोऽधः प्रविशति॥२७॥

पूर्वकाल में विद्या विद्वानों के क्लेश को नाश करने के लिए हुआ करती थी, कुछ काल के अन्तर से वही विषयी पुरुषों के विषयसुख का साधन बन बैठी, अब इस समय राजाओं को शास्त्र से विमुख देखकर वह प्रतिदिन नीचे ही नीचे होती जा रही है, अहो, बड़े कष्ट की बात है।

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 पुरा विद्वत्ता /pura vidvatta shloka vairagya

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