नायं ते समयो /nayam te samyo shloka vairagya
नायं ते समयो रहस्यमधुना निद्राति नाथो यदि
स्थित्वा द्रक्ष्यति कुप्यति प्रभुरिति द्वारेषु येषांवचः।
चेतस्तानपहाय याहि भवनं देवस्य विश्वेशितु
निर्दीर्वापिकनिर्दयोक्त्यपुरुषं निःसीमर्शर्मप्रदम्॥८२॥
रे मन! जिनके द्वार पर द्वारपाल भिक्षुओं से यह कहते हैं कि यह समय तुमसे मिलने का नहीं है, महाप्रभु इस समय एकान्त में सो रहे हैं, यदि उठने के बाद बाहर आकर तुमको यहाँ बैठे देखेंगे तो वे कुद्ध हो जायेंगे। ऐसे मदोन्मत महाप्रभुओं के पीछे अपने जीवन को नष्ट कर देवाधिदेव विश्वेश्वर की शरण जाओ जहाँ न कोई रोकने वाला है, न कठोर वचन कहने वाला है, बल्कि असीम सुख देने वाला है।