F यदसीदज्ञानं /yad seed gyanam shloka vairagya - bhagwat kathanak
यदसीदज्ञानं /yad seed gyanam shloka vairagya

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यदसीदज्ञानं /yad seed gyanam shloka vairagya

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यदसीदज्ञानं /yad seed gyanam shloka vairagya


यदसीदज्ञानं स्मरतिमिरसंस्कार जनितं

तदा दृष्टं नारीमयमिदमशेषं जगदपि।

इदानीमस्माकं पटुतरविवेकाञ्जनजुषां

समीभूता दृष्टिस्त्रिभुवनमपि ब्रह्म तनुते॥७१॥

पहले जिस जवानी में कामदेवरूप तिमिर नाम के नेत्ररोग की व्याप्ति से विवेक नष्ट होकर सारा संसार स्त्रीमय दिखाई देता था। अब इस समय तिमिररूप नेत्ररोग को दूर करने में समर्थ तत्वज्ञानरूप अञ्जन को लगाने वाले हम लोगों की दृष्टि त्रिभुवन् को ब्रह्ममय समझती है।

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 यदसीदज्ञानं /yad seed gyanam shloka vairagya

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