जय हे शिव दर्पकदाहक/jay he shiva darpakdahak shloka
जय हे शिव दर्पकदाहक दैत्यविघातक भूतपते
दशमुखनायक शायकदायक कालभयानक भक्तगते।
त्रिभुवनकारकधारकमारक संसृतिकारक धीरमते
हरिगुणगायक ताण्डवनायक मोक्षविधायक योगरते॥१॥
हे मदनदाहक ! दैत्यकदन! भूतनाथ ! हे दशशीश-स्वामिन् ! हे [अर्जुनको] धनुष देनेवाले! हे कालको भी भयभीत करनेवाले! हे भक्तोंके आश्रय! हे त्रिलोकीकी उत्पत्ति, स्थिति और संहार करनेवाले! हे जगद्रचयिता धीरधी महादेव! हे हरिगुणगायक ताण्डवनायक मोक्षप्रदायक योगपरायण शंकर! आपकी जय हो! जय हो ॥ १॥