शिशिरकिरणधारी/shishir kiran dhari shloka
शिशिरकिरणधारी शैलबालाविहारी
भवजलनिधितारी योगिहृत्पद्मचारी।
शमनजभयहारी प्रेतभूमिप्रचारी
कृपयतु मयि देव: कोऽपि संहारकारी॥२॥
जो चन्द्रकलाको धारण किये हैं, पार्वती-रमण हैं, संसारसमुद्रसे पार करनेवाले हैं, योगियोंके हृदयरूप कमलमें विहार करनेवाले हैं, मृत्यु-भयको दूर करनेवाले तथा श्मशानभूमिमें विचरनेवाले हैं, वे कोई सृष्टिसंहारकारी देव मुझपर कृपा करें॥ २॥