F कदा द्वैतं पश्यन्न /kada dyetam pashyan shloka - bhagwat kathanak
कदा द्वैतं पश्यन्न /kada dyetam pashyan shloka

bhagwat katha sikhe

कदा द्वैतं पश्यन्न /kada dyetam pashyan shloka

कदा द्वैतं पश्यन्न /kada dyetam pashyan shloka

 कदा द्वैतं पश्यन्न /kada dyetam pashyan shloka

कदा द्वैतं पश्यन्न /kada dyetam pashyan shloka

कदा द्वैतं पश्यन्नखिलमपि सत्यं शिवमयं

महावाक्यार्थानामवगतसमभ्यासवशतः

गतद्वैताभावः शिव शिव शिवेत्येव विलपन्

मुनिर्न व्यामोहं भजति गुरुदीक्षाक्षततमाः॥ ८ ॥

महावाक्योंके तात्पर्यार्थके अभ्यासद्वारा सारे संसारको सत्य और शिवरूप समझता हुआ, अद्वैततत्त्वज्ञाता होकर शिव-शिव-शिव इस प्रकार रटता हुआ मुनि, किस समय गुरुदीक्षासे अज्ञानरहित होकर, व्यामोहमें न फँसेगा? ॥ ८॥ 

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 कदा द्वैतं पश्यन्न /kada dyetam pashyan shloka


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