केचिद् वदन्ति धनहीन /kechid vadanti shloka
केचिद् वदन्ति धनहीनजनो जघन्यः
केचिद् वदन्ति गुणहीनजनो जघन्यः।
व्यासो वदत्यखिलवेदविशेषविज्ञो
नारायणस्मरणहीनजनो जघन्यः॥१०४॥
कोई तो धनहीनमनुष्यको नीच कहते हैं और कोई गुणहीनको नीच बतलाते हैं; किन्तु सम्पूर्ण वेदोंके विशेष ज्ञाता श्रीवेदव्यासजी तो हरिस्मरणहीन पुरुषको ही नीच कहते हैं ॥ १०४॥