मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka
मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे
मत्प्रार्थनीयमदनुग्रह एष एव।
त्वद्धृत्यभृत्यपरिचारकभृत्यभृत्य-
भृत्यस्य भृत्य इति इति मां लोकनाथ ॥ ७०॥*
हे माधव! हे लोकनाथ! मेरे जन्मका यही फल है, मेरी प्रार्थनासे मुझपर होनेवाली दया भी यही है कि आप मुझे अपने भृत्यका भृत्य, उसके सेवकका सेवक और उसके दासका दासानुदासरूपसे याद रखें ॥ ७० ॥