F मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka - bhagwat kathanak
मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka

bhagwat katha sikhe

मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka

मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka

 मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka

मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka

मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे

मत्प्रार्थनीयमदनुग्रह एष एव।

त्वद्धृत्यभृत्यपरिचारकभृत्यभृत्य-

भृत्यस्य भृत्य इति इति मां लोकनाथ ॥ ७०॥*

हे माधव! हे लोकनाथ! मेरे जन्मका यही फल है, मेरी प्रार्थनासे मुझपर होनेवाली दया भी यही है कि आप मुझे अपने भृत्यका भृत्य, उसके सेवकका सेवक और उसके दासका दासानुदासरूपसे याद रखें ॥ ७० ॥

सूक्तिसुधाकर के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
 -click-Suktisudhakar shloka list 


 मज्जन्मनः फलमिदं मधुकैटभारे /majjan mana falmidam shloka


Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3