ये ये हताश्चक्रधरेण राजं /ye ye hata chakra shloka
ये ये हताश्चक्रधरेण राजंस्त्रैलोक्यनाथेन जनार्दनेन।
ते ते गता विष्णुपुरी प्रयाता: क्रोधोऽपि देवस्य वरेण तुल्यः॥६९॥*
हे राजन्! त्रैलोक्यपति चक्रधारी जनार्दनके द्वारा जो लोग मारे गये, वे सभी विष्णुलोकको चले गये, इस देवका क्रोध भी वरकी तरह ही कल्याणप्रद है॥ ६९॥