अहं तु नारायण दासदास /aham tu narayan das dasa shloka
अहं तु नारायणदासदासदासस्य दासस्य च दासदासः।
अन्येभ्य ईशो जगतो नराणामस्मादहं चान्यतरोऽस्मि लोके॥६८॥*
मैं तो नारायणके दासोंके दासका अनुदास और उनके भी दासानुदासका दास हूँ, मानव-जगत्के राजालोग दूसरोंके लिये हैं, इसलिये संसारमें उनसे मैं अलग ही रहनेवाला हूँ॥ ६८॥