F आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता /arta vishanna shloka - bhagwat kathanak
आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता /arta vishanna shloka

bhagwat katha sikhe

आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता /arta vishanna shloka

आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता /arta vishanna shloka

 आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता /arta vishanna shloka

आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता /arta vishanna shloka

आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता घोरेषु व्याघ्रादिषु वर्तमानाः।

सङ्कीर्त्य नारायणशब्दमानं विमुक्तदुःखा सुखिनो भवन्ति॥६७॥*

घबराये हुए, विषादयुक्त, ढीले पड़े हुए, भयभीत हुए, भयङ्कर बाघ आदिके चंगुलमें फँसे हुए मनुष्य भी 'नारायण' नाममात्रका उच्चारण करते ही दुःखसे छूटकर सुखी हो जाते हैं ॥६७॥ 

सूक्तिसुधाकर के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके।
 -click-Suktisudhakar shloka list 


 आर्ता विषण्णा: शिथिलाश्च भीता /arta vishanna shloka


Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3