नेदं नभोमण्डल मम्बुराशि /nedam nabho mandal shloka
नेदं नभोमण्डलमम्बुराशि ताश्च तारा नवफेनभङ्गाः।
नायं शशी कुण्डलितः फणीन्द्रो नायं कलङ्कः शयितो मुरारिः॥९५॥
यह आकाश नहीं, समुद्र है; ये तारागण नहीं, समुद्र- फेनके कण हैं; यह चन्द्रमण्डल नहीं, कुण्डलाकार बैठे हुए शेषजी हैं और (चन्द्रविम्बमें) ये धब्बे नहीं, सोये हुए विष्णु ही हैं॥ ९५ ॥